कुछ हिस्से हैं मेरे जो अब भी दिल्ली में रहते हैं। दुल्हन बन जब मैंने दिल्ली छोड़ा तो कोशिश यही थी की किताबों और कपड़ों के साथ साथ अपने आप को भी डब्बे में बंद कर बम्बई में नई तरह बसा दूं। और सोचा की इसमें मैं सफल भी हुई। पर आज भी मुझे दिल्ली में मैं दिख जाती हूँ।
आसमान से विमान जब उतरने को हो तो जे.एन.यू की हरियाली में छुपी होती हूँ मैं। इंडिया गेट के आइस-क्रीम के ठेलों की तरफ ताकती लालची आँखें मेरी हैं। और चिल्ड्रेन्स पार्क के झूमते झूलों में मेरी भी उड़ान है। हौज़ खास की गलियों में धूल के किनारे मेरे पैरों के निशान हैं। एक स्कूल है, जिसके कमरों में मेरा बचपना कैद भी है, सुरक्षित भी। एक कॉलेज है जिसके बगीचों में मेरे घर से आई पूरियों कि खुशबू है। सर्दी कि सुबहों में मुंह से निकलते धुंध में मेरी नींद अलसा रही है। और गर्मी के दिनों में कूलर के शोर में मेरे कई लम्बे दोपहर झक मार रहे हैं।
सड़कों पे रेंगती हुई मैं चल रही हूँ, और सारे रास्ते मेरे ही तो घर को जाते हैं। जहाँ पहुँच कर मुझे यही लगता है कि इस रिश्ते में दूरी असंभव है।
और अब दूर से दिल्ली को चाहने में अलग मज़ा है। तस्वीर कि तरह दिल्ली मेरी आँखों में आराम से रहतो है। उसे जगा कर कभी कभी मैं मुस्कुरा लेती हूँ।
9 comments:
wow ana...this is lovely. you got me yearning for 'aamar dilli' as well.
Atisundar!
First time I'm reading you in Hindi- it's perfect for this little vignette of the Delhi and you that remain forever intertwined!
boooooooooootifull!!
seriously,
g
यह तो ख़ैर, हर किसी के साथ होता है...
जैसे कि मैंने रतलाम छोड़ा, भोपाल आया तो लगता है कि बहुत कुछ रतलाम में छूट गया... नाम में रतलामी चिपक गया... :)
Sukanya: Kindred spirit :)
Dipali: I would like to write more in Hindi, but this transliteration thing is a pain!
G: Thanks!
Ravi: Yeh achha hai ki aap pura naam hi saath le aaye. Shaayarana andaaz hai.
That's the magic of Dilli I guess. Wonderfully written, transported me to my Delhi days. 15 years since I left the place but still call it home.
So beautiful Ana . This is the feeling I have when I go to Jamshedpur because there are bits and pieces of me everywhere . So poignant and full of love - your post .
nice
bahut hi zyaada pyaara post hai!
Post a Comment