यह कहाँ आ गए हम?
और इस अनजाने मोड़ पर तुम मुझे छोड़ के मत जाओ! ज़रा मेरे बारे में भी सोचो। जब तुमने मेरा साथ माँगा था, मैंने तुम से सच बोला था - कि आगे का रास्ता मुझे नही पता। तुमने मुझे तसल्ली दी थी, हिम्मत दी थी कि तुम सम्भाल लोगी। तुमने कहा था “वह तुम मुझ पर छोड़ दो।” तभी मैं चल पड़ा। हवा में तुम्हारे बाल उड़ रहे थे। रास्ता हसीन था या यह मेरी ग़लतफ़हमी थी?
जो भी हो, अब तुमने अपनी मर्ज़ी से साथ छोड़ दिया। बोला “बस! और आगे मत निकल जाना।”
और तुम मुड़ के भी नहीं देख रही हो। मैं खो गया हूँ। समझ नहीं आता आगे कहाँ जाऊँ। वापस जाऊँ तो कैसे?!
अरे मैडम, यह रिक्शा बोरिवली का है। बांद्रा में गुमाने से पहले थोड़ा सोच लेती तो अच्छा होता।
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